Chapter 13 ped kee baat Worksheet Solutions
06/11/2024Chapter 02 Gol notes
06/11/2024Chapter Notes: मातृभूमि
कविता का परिचय
“मातृभूमि” कविता सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित एक देशभक्ति कविता है। इस कविता में कवि ने अपनी मातृभूमि के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त किया है। कवि ने हिमालय, गंगा-यमुना, त्रिवेणी, और भारत के विभिन्न प्राकृतिक सौंदर्य को वर्णित करते हुए भारत की महानता और उसकी पवित्रता का बखान किया है। कविता में कवि ने अपने देश की गौरवमयी संस्कृति और इतिहास को भी उजागर किया है।

कविता का सारांश
कविता “मातृभूमि” में कवि ने भारत की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक महत्व को बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।
पहला पद:
पहले पद में कवि हिमालय की ऊँचाई और उसकी महानता की प्रशंसा करते हैं। हिमालय को आकाश छूने वाला और सिंधु नदी को उसके चरणों में झुककर झूमने वाला कहा गया है। इसके बाद, गंगा, यमुना और त्रिवेणी नदियों की लहराती धारा और उनकी सुंदरता का वर्णन किया गया है। कवि इस पुण्य-भूमि को अपनी जन्मभूमि और मातृभूमि बताते हैं।
दूसरा पद:
दूसरे पद में कवि पहाड़ियों में बहते झरनों, झाड़ियों में चहकती चिड़ियों, और घनी अमराइयों का जिक्र करते हैं। कोयल की पुकार और मलय पवन के बहने से तन-मन की ताजगी का अनुभव कराया गया है। कवि इस भूमि को धर्मभूमि और कर्मभूमि के रूप में पहचानते हैं।

तीसरा पद:
तीसरे पद में कवि राम, सीता और श्रीकृष्ण के जन्म स्थान का उल्लेख करते हैं। गौतम बुद्ध के जन्म और उनके करुणामयी उपदेशों का जिक्र कर कवि इस भूमि को युद्ध-भूमि और बुद्ध-भूमि दोनों मानते हैं। अंत में, वे इस भूमि को अपनी मातृभूमि और जन्मभूमि बताते हैं।
शब्दार्थ
- हिमालय – उत्तर भारत का विशाल पर्वत श्रृंखला
- सिंधु – एक पवित्र नदी, जिसे आजकल ‘इंडस’ कहा जाता है
- त्रिवेणी – वह स्थान जहाँ तीन नदियाँ मिलती हैं (गंगा, यमुना, सरस्वती)
- छटा – सुंदर दृश्य
- पुण्य-भूमि – पवित्र भूमि
- स्वर्ण-भूमि – सुनहरी भूमि
- अमराइयाँ – आम के पेड़ों का समूह
- मलय पवन – दक्षिण से बहने वाली सुगंधित हवा
- तन-मन – शरीर और मन
- रघुपति – भगवान राम का दूसरा नाम
- सीता – राम की पत्नी और एक पवित्र नारी
- श्रीकृष्ण – महाभारत के मुख्य पात्र और भगवान
- वंशी – बाँसुरी
- गीता – श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उपदेश
- गौतम – भगवान बुद्ध
- सुयश – अच्छा यश
- दया – करुणा
- दिखाया – मार्गदर्शन किया